Tuesday 14 July 2015

Kanzul Iman in Hindi SURAH AL-QAAF

50 Surah Al-Qaaf

सूरए क़ाफ़ मक्के में उतरी, इसमें तीन रूकू हैं,
-पहला रूकू
अल्लाह के नाम से शुरू जो बहुत मेहरबान रहमत वाला(1)
(1) सूरए क़ाफ़ मक्के में उतरी. इसमें तीन रूकू, पैंतालीस आयतें, तीन सौ सत्तावन कलिमे और एक हज़ार चार सौ चौरानवे अक्षर हैं.


क़ाफ़ {1} इज़्ज़त वाले क़ुरआन की क़सम (2){2}
(2) हम जानते हैं कि मक्के के काफ़िर सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम पर ईमान नहीं लाए.


बल्कि उन्हें इसका अचंभा हुआ कि उनके पास उन्हीं में का एक डर सुनाने वाला तशरीफ़ लाया(3)
(3) जिसकी अदालत और अमानत और सच्चाई और रास्तबाज़ी को वो ख़ूब जानते हैं और यह भी उनके दिमाग़ में बैठा हुआ है कि ऐसी विशेषताओ वाला व्यक्ति सच्ची नसीहत करने वाला होता है. इसके बावुजूद उनका सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की नबुव्वत और हुज़ूर के अन्दाज़ में तअज्जुब और इन्कार करना आश्चर्यजनक है.


तो काफ़िर बोले यह तो अजीब बात है {3} क्या जब हम मर जाएं और मिट्टी हो जाएंगे फिर जियेंगे यह पलटना दूर है (4)
(4) उनकी इस बात के रद और जवाब में अल्लाह तआला फ़रमाता है.


हम जानते हैं जो कुछ ज़मीन उनमें से घटाती है(5)
(5) यानी उनके जिस्म के जो हिस्से गोश्त ख़ून हडिडयाँ वग़ैरह ज़मीन खा जाती है उनमें से कोई चीज़ हमसे छुपी नहीं, तो हम उनको वैसा ही ज़िन्दा करने पर क़ादिर हैं जैसे कि वो पहले थे.


और हमारे पास एक याद रखने वाली किताब है (6){4}
(6) जिसमें उनके नाम, गिन्ती और जो कुछ उनमें से ज़मीन ने ख़ाया सब साबित और लिखा हुआ और मेहफ़ूज़ है.


बल्कि उन्होंने हक़ (सत्य) को झुटलाया (7)
(7) बग़ैर सोचे समझे, और हक़ से या मुराद नबुव्वत है जिसके साथ खुले चमत्कार हैं या क़ुरआने मजीद.


जब वह उनके पास आया तो वह एक मुज़तरिब बेसबात बात में हैं (8){5}
(8) तो कभी नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को शायर, कभी जादूगर, कभी तांत्रिक और इसी तरह क़ुरआन शरीफ़ को शेअर, जादू और तंत्रविद्या कहते हैं. किसी एक बात पर क़रार नहीं.


तो क्या उन्होंने अपने ऊपर आसमान को न देखा(9)
(9) देखने वाली आँख और मानने वाली नज़र से कि उसकी आफ़रीनश (उत्पत्ति या पैदाइश) मैं हमारी क़ुदरत के आसार नुमायाँ हैं.


हमने उसे कैसा बनाया(10)
(10) बग़ैर सुतून के बलन्द किया.


और संवारा(11)
(11) सितारे किये रौशन ग्रहों से.


और उसमें कहीं रखना नहीं(12){6}
(12) कोई दोष और क़ुसूर नहीं.


और ज़मीन को हम ने फ़ैलाया(13)
(13) पानी तक.


और उसमें लंगर डाले(14)
(14)पहाड़ों के कि क़ायम रहे.


और उसमें हर रौनक वाला जोड़ा उगाया {7} सूझ और समझ(15)
(15) कि उससे बीनाई और नसीहत हासिल हो.


हर रूजू वाले बन्दे के लिये(16){8}
(16) जो अल्लाह तआला की बनाई हुई चीज़ों में नज़र करके उसकी तरफ़ रूजू हो.


और हमने आसमान से बरकत वाला पानी उतारा(17)
(17)यानी बारिश जिससे हर चीज़ की ज़िन्दगी और बहुत ख़ैरो बरकत है.


तो उससे बाग़ उगाए और अनाज कि काटा जाता है(18){9}
(18) तरह तरह का गेंहूँ जौ चना वग़ैरह.


और ख़जूर के लम्बे दरख़्त जिन का पक्का गाभा{10} बन्दों की रोज़ी के लिये और हमने उस (19)
(19)बारिश के पानी.


से मुर्दा शहर जिलाया(20)
(20) जिसकी वनस्पति सूख चुकी थी फिर उसको हरा भरा कर दिया.


यूंही क़ब्रों से तुम्हारा निकलना है(21){11}
(21) तो अल्लाह तआला की क़ुदरत के आसार देख कर मरने के बाद फिर ज़िन्दा होने का क्यों इन्कार करते हो.


उनसे पहले झुटलाया(22)
(22) रसूलों को.


नूह की क़ौम और रस वालों(23)
(23) रस्स का एक कुँवा है जहाँ ये लोग अपने मवेशी के साथ ठहरे हुए थे और बुतों को पूजते थे. यह कुँआ ज़मीन में धँस गया और उसके क़रीब की ज़मीन भी. ये लोग और उनके अमवाल उसके साथ धँस गए.


और समूद {12} और आद और फ़िरऔन और लूत के हमक़ौमों {13} और बन वालों और तुब्बा की क़ौम ने(24)
(24) उन सब के तज़किरे सूरए फ़ुरक़ान व हिजर और दुख़ान में गुज़र चुके.


उनसे हर एक ने रसूलों को झुटलाया तो मेरे अज़ाब का वादा साबित हो गया(25){14}
(25) इसमें सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की तसल्ली और क़ुरैश को चेतावनी है. नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम से फ़रमाया गया है कि आप क़ुरैश के कुफ़्र से तंग दिल न हों, हम हमेशा रसूलों की मदद फ़रमाते और उनके दुश्मनों पर अज़ाब करते रहे हैं. इसके बाद दोबारा ज़िन्दा किये जाने का इन्कार करने वालों का जवाब इरशाद होता है.


तो क्या हम पहली बार बनाकर थक गए (26)
(26) जो दोबारा पैदा करना हमें दूश्वार हो. इसमें दोबारा ज़िन्दा किये जाने का इन्कार करने वालों की जिहालत का इज़हार है कि इस इक़रार के बावुजूद कि सृष्टि अल्लाह तआला ने पैदा की, उसके दोबारा पैदा करने को असम्भव समझते हैं.


बल्कि वो नए बनने से (27)
(27) यानी मौत के बाद पैदा किये जाने से.
शुबह में हैं {15}
50 सूरए क़ाफ़ -तीसरा रूकू
जिस दिन हम जहन्नम से फ़रमाएंगे क्या तू भर गई(1)
(1) अल्लाह तआला ने जहन्नम से वादा फ़रमाया है कि उसे जिन्नों और इन्सानों से भरेगा. इस वादे की तहक़ीक़ के लिये जहन्नम से यह सवाल किया जाएगा.

वह अर्ज़ करेगी कुछ और ज़्यादा है(2){30}
(2) इसके मानी ये भी हो सकते हैं कि अब मुझ में गुन्जाइश बाक़ी नहीं, मैं भरचुकी. और ये भी हो सकते हैं कि अभी और गुन्जाइश है.

और पास लाई जाएगी जन्नत परहेज़गारों के कि उनसे दूर न होगी(3){31}
(3) अर्श के दाईं तरफ़, जहाँ से मेहशर वाले उसे देखेंगे और उनसे कहा जाएगा.

यह है वह जिस का तुम वादा दिये जाते हो(4)
(4) रसूलों के माध्यम से दुनिया में.

हर रूजू लाने वाले निगहदाश्त वाले के लिये (5){32}
(5) रूजू लाने वाले से वह मुराद है जो गुनाहों को छोड़कर फ़रमाँबरदारी इख़्तियार करे. सईद बिन मुसैयब ने फ़रमाया अव्वाब यानी रूजू लाने वाला वह है जो गुनाह करे फिर तौबह करे, फिर गुनाह करे फिर तौबह करे. और निगहदाश्त करने वाला है जो अल्लाह के हुक्म का लिहाज़ रखे. हज़रत इब्ने अब्बास रदियल्लाहो अन्हुमा ने फ़रमाया जो अपने आपको गुनाहों से मेहफ़ूज़ रखे और उनसे इस्तिग़फार करे और यह भी कहा गया है कि जो अल्लाह तआला की अमानतों और उसके हुक़ूक़ की हिफ़ाज़त करे और यह भी बयान किया गया है कि जो ताअतों का पाबन्द हो, ख़ुदा और रसूल के हुक्म बजा लाए और अपने नफ़्स की निगहबानी करे यानी एक दम भी यादे-इलाही से ग़ाफ़िल न हो. पासे-अन्फ़ास करे यानी अपनी एक एक सांस का हिसाब रखे.

जो रहमान से बेदेखे डरता है और जो रूजू करता हुआ दिल लाया(6){33}
(6) यानी इख़लास वाला, फ़रमाँबरदार और अक़ीदे का सच्चा दिल.

उनसे फ़रमाया जाएगा जन्नत में जाओ सलामती के साथ (7)
(7) बेख़ौफ़ों ख़तर, अम्न व इत्मीनान के साथ, न तुम्हें अज़ाब हो न तुम्हारी नेअमतें ख़त्म या कम हों.

यह हमेशगी का दिन है(8){34}
(8) अब न फ़ना है न मौत.

उनके लिये है इसमें जो चाहें और हमारे पास इससे भी ज़्यादा है(9){35}
(9) जो वो तलब करें और वह अल्लाह का दीदार और उसकी तजल्ली है जिससे हर शुक्र वार को बुज़ुर्गी के साथ नवाज़े जाएंगे.

और उनसे पहले (10)
(10) यानी आपके ज़माने के काफ़िरों से पहले.

हमने कितनी संगतें हलाक़ फ़रमा दीं कि गिरफ़्त में उनसे सख़्त थीं (11)
(11) यानी वो उम्मतें उनसे ताक़तवर और मज़बूत थीं.

तो शहरों में काविशें कीं(12)
(12) और जुस्तजू में जगह जगह फिरा किये.

है कहीं भागने की जगह(13){36}
(13) मौत और अल्लाह के हुक्म से मगर कोई ऐसी जगह न पाई.

बेशक इसमें नसीहत है उसके लिये जो दिल रखता हो(14)
(14) जानने वाला दिल. शिबली रहमतुल्लाह अलैह ने फ़रमाया कि क़ुरआनी नसीहतों से फ़ैज़े हासिल करने के लिये हाज़िर दिल चाहिये जिसमें पलक झपकने तक की गफ़लत न आए.

या कान लगाए (15)
(15) क़ुरआन और नसीहत पर.

और मुतवज्जह हो {37} और बेशक हमने आसमानों और ज़मीन को और जो कुछ उनके बीच है छ: दिन में बनाया, और तकान हमारे पास न आई(16){38}
(16) मुफ़स्सिरों ने कहा कि यह आयत यहूदियों के रद में नाज़िल हुई जो यह कहते थे कि अल्लाह तआला ने आसमान और ज़मीन और उनके दर्मियान की कायानात को छ रोज़ में बनाया जिनमें से पहला यकशम्बा है और पिछला शुक्रवार, फिर वह (मआज़ल्लाह) थक गया और सनीचर को उसने अर्श पर लेट कर आराम किया. इस आयत में इसका रद है कि अल्लाह तआला इससे पाक है कि वह थके. वह क़ादिर है कि एक आन में सारी सृष्टि बना दे. हर चीज़ का अपनी हिकमत के हिसाब से हस्ती अता फ़रमाता है. शाने इलाही में यहूदियों का यह कलिमा सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को बहुत बुरा लगा और ग़ुस्से से आपके चेहरे पर लाली छा गई तो अल्लाह तआला ने आपकी तस्कीन फ़रमाई और ख़िताब फ़रमाया.

तो उनकी बातों पर सब्र करो और अपने रब की तारीफ़ करते हुए उसकी पाकी बोलो सूरज चमकने से पहले और डूबने से पहले(17){39}
(17) यानी फ़ज्र व ज़ोहर व अस्र के वक़्त.

और कुछ रात गए उसकी तस्बीह करो(18)
(18) यानी मग़रिब व इशा व तहज्जुद के वक़्त.

और नमाज़ों के बाद (19){40}
(19) हदीस में हज़रत इब्ने अब्बास रदियल्लाहो अन्हुमा से रिवायत है कि सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने तमाम नमाज़ों के बाद तस्बीह करने का हुक्म फ़रमाया. (बुख़ारी) हदीस में है सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया जो व्यक्ति हर नमाज़ के बाद 33 बार सुब्हानल्लाह, 33 बार अल्हम्दुलिल्लाह और तैंतीस बार अल्लाह अकबर और एक बार ला इलाहा इल्लल्लाहो वहदू ला शरीका लहू लहुल मुल्को व लहुल हम्दो व हुवा अला कुल्ले शैइन क़दीर पढ़े उसके गुनाह बख़्शे जाएं चाहे समन्दर के झागों के बराबर हों यानी बहुत ही ज़्यादा हों. (मुस्लिम शरीफ़)

और कान लगाकर सुनो जिस दिन पुकारने वाला पुकारेगा(20)
(20) यानी हज़रत इस्राफ़ील अलैहिस्सलाम.

एक पास जगह से(21){41}
(21) यानी बैतुल मक़दिस के गुम्बद से जो आस्मान की तरफ़ ज़मीन का सबसे क़रीब मक़ाम है. हज़रत इस्राफ़ील की निदा यह होगी ऐ गली हुई हड्डियों, बिखरे हुए जोड़ो, कण कण हुए गोश्तो, बिखरे हुए बालो ! अल्लाह तआला तुम्हें फ़ैसले के लिये जमा होने का हुक्म देता है.

जिस दिन चिंघाड़ सुनेंगे(22)
(22) सब लोग, मुराद इससे सूर का दूसरी बार फूंका जाना है.

हक़ के साथ, यह दिन है, क़ब्रों से बाहर आने का {42} बेशक हम जिलाएं और हम मारें और हमारी तरफ़ फिरना है(23){43}
(23) आख़िरत में.

जिस दिन ज़मीन उन से फटेगी तो जल्दी करते हुए निकलेंगे (24)
(24) मुर्दे मेहशर की तरफ़.

यह हश्र है हम को आसान{44}हम ख़ूब जान रहे हैं जो वो कह रहे हैं(25)
(25) यानी क़ुरैश के काफ़िर.

और कुछ तुम उनपर जब्र करने वाले नहीं(26) तो क़ुरआन से नसीहत करो उसे जो मेरी धमकी से डरे{45}
(26) कि उन्हें ज़बरदस्ती इस्लाम में दाख़िल करो, आपका काम दावत देना और समझा देना है.

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