Tuesday 21 August 2018

Hazrat Syed Haji Ali Shah Bukhari Radi Allahu anh

हज़रत सय्यद पीर हाजी अली शाहबुख़ारी (रदियल्लाहो तआला अन्ह)मुम्बई

.
.
.
हाजी अली उज्बेकिस्तान के बुखारा शहर के रहने वाले थे I
आप बहोत पैसे वाले व्यापारी थे, आपने पूरी दुनिया का
भ्रमण किया है आज से तक़रीबन 550 वर्ष पूर्व आप अपने भाई के
साथ पहली बार भारत देश में भी पहुचे उस वक्त
भी मुंबई प्रमुख व्यापारिक स्थल हुवा करता था I मुंबई के
वरली इलाके में आकर आप रुके और फिर वे इसी जगह
पर रहने लगे I भारत में रहकर आपने बहोत से बुज़ुर्ग, कामिल वलिअल्लाहो को
देखा, उनके बारे में सुना और आपने महसूस की इन बुजुर्गो ने जिनमे
हज़रत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती र.अ.,
कुतबुद्दीन चिश्ती र.अ., बाबा फरीद र.अ.,
निजामुद्दीन चिश्ती र.अ.,जैसे अनेक सूफी संत
है जिन्होंने खल्क की खिदमत की और उनके प्रभाव से
इस मुल्क में इस्लाम तेज़ी से फल फूल रहा था I ज़रूरत
थी इन बुजुर्गो के लगाये पौधों को सीचने की,
आपको महसूस हुवा की अल्लाह ने उन्हें भी
इसी वजह से मुल्के हिंदुस्तान मुबंई में भेजा है लिहाज़ा आपने
भी यहाँ आने के बाद इंसानियत और इस्लाम की खिदमत को
अपना मकसद बनाया I आप बुखारा शरीफ के थे आपके अन्दर अल्लाह
ने तमाम रूहानी वो बातिनी इल्म पहले से दिए हुवे थे लिहाज़ा
आपने व्यापार को छोड़कर खिदमते खल्क का रास्ता चुना I आपकी बाते
सुनकर सभी मज़हब के लोग तेज़ी से आपके
करीब आने लगे I आप इंसानो के दुःख दर्द को अच्छी
तरह से समझते थे आपने हर तरह से सभी की मदद
की सभी को सही रास्ता दिखलाया I इधर
हिन्दुस्तान में रहते हुवे जब काफी दिन हो गए तो आपकी
वाल्दा ने आप के पास खबर भिजवाई आपने जवाब दिया अल्लाह चाहता है
की मै हिन्दुस्तान में ही रहकर खल्क की
खिदमत करू लिहाज़ा ए अम्मीजान आप मेरी फ़िक्र मत
कीजे और मेरे लिए अल्लाह से दुवा करे की अल्लाह मुझे
इस अज़ीम मकसद में कामयाबी दे I और इस तरह आप
हमेशा हमेशा के लिए हिंदुस्तान में ही रहने लगे I
आपने कई बार हज का सफ़र किया था I लोग आपको हाजी
अली कहा करते I ऐसा कहा जाता है की हज के दौरान
ही आप की रूह ने आपके जिस्म का साथ छोड़ दिया, और
आपकी नसीहत के मुताबिक आपके जिस्म मुबारक को एक
ताबूत में बंद कर समुद्र में छोड़ दिया गया आपका जिस्म मुबारक अरब सागर में हजारो
मील का सफ़र तय करता हुवा मुंबई के वरली स्थित
बंदरगाह जहाँ आज भी आपकी मजार है वहां पर
ही आकर रुक गया I और आपकी वसीयत के
मुताबिक ये वही जगह थी जहाँ आपने कहा था
इसी वजह से इस जगह पर सन 1431 में आपकी मजार
बनायीं गई I तो कुछ का मानना कुछ और है मगर ये बात तो
हकीकत है की आक्पकी
वसीयत के मुताबिक ही आपकी दरगाह समुद्र
के बीच इस जगह पर मौजूद है I अल्लाह I मजार के साथ एक
मस्जिद भी है I हाजी अली की
दरगाह वरली मुंबई में अरब सागर समुद्र के किनारे से
तक़रीबन 500 गज की दूरी पर आज
भी वैसी ही मौजूद है जैसा की
कल थी I आज भी अरब सागर की लहरे
उनकी मज़ार की दीवारों तक
पहुचती तो ज़रूर है मगर उसकी इतना मजाल
नहीं की वो उस दरगाह तक पहुच सके I कोई नुकसान
पहुचाना तो दूर की बात है लहरे आज तक इसे कभी छू
भी नहीं सकी है लगता है जैसे
पानी खुद इस मुक़द्दस दर का तवाफ़ करने आता तो बहोत
तेज़ी से है मगर उतनी ही तेज़ी
से थम भी जाता है और फिर खुश होकर वापस चला जाता है I हालाकि
दरगाह के नीचे हजारो फिट पानी होगा मगर ये दरगाह
अपनी जगह पर किस तरह कायम है ये हैरानी
की बात है I पहले इस दरगाह के अन्दर औरतो का जाना मना था मगर
कोर्ट के फैसले के बाद से आज वहां पर औरते भी अन्दर आ जा
रही है I इस जगह पर बहोत से लोग सैर और तफरीह
के लिए भी आते है और आज ये जगह एक प्रमुख स्थल है I
हाजी अली के बारे में एक और बात पता चली
है की आपने अपनी बहन को भी ख्वाब में
बशारत दी और अपने इस जगह पर मौजूद होने के बारे में बतलाया I
आपकी बहन इस जगह पर आई और उन्होंने भी अपने
भाई के इस अधूरे मिशन को पूरा करने का बीड़ा उठाया और वो
भी ताउम्र मुंबई में ही रही
आपकी भी दरगाह कुछ फासले में मौजूद है I
ये अल्लाह वालो की शान है , जहाँ उनका दिल चाहे, या फिर हुक्म ए
इलाही हो वे वही रहते है I और कल भी ये
खल्क की खिदमत कर रहे थे और आज भी ये खल्क
की खिदमत कर रहे है क्योकि ये अल्लाह के वली
(दोस्त)है जो बेशक जिंदा है I मुंबई माहिम में ही हज़रत मखदूम शाह
की दरगाह भी समुद्र के किनारे स्थित है जहा पर कुछ
साल पहले ही समुद्र का पानी मीठा होने का
वाकया काफी मशहूर हुवा था I इसी दरगाह में हुजुर ए
अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के मुक़द्दस दर से लायी गई
चादर शरीफ भी एक फ्रेम में लगी हुई है
आप कभी जाये तो उसकी भी जियारत ज़रूर करे
I मुंबई में ही कल्याण से कुछ दूरी पर पहाड़ में
काफी उचाईयों पर हाजी मस्तान की दरगाह
भी मौजूद है I हाजी मस्तान की दरगाह में
भी एक तरफ अगर मुसलमान खादिम बैठते है तो दूसरी
तरफ हिन्दू खादिम, बैठते है, उनके वक्त भी सभी कौम
के लोग इस जगह पर आकर उनके साथ रहने लगे थे और आज भी
यहाँ पर सभी कौम के लोगो को देखा जा सकता है I तीनो
ही जगह बेमिसाल है और जो सुकून है वो तो आपको वहां जाने के बाद
ही पता चल सकता है |!
.
.
# copied_MalaK

Saturday 18 August 2018

नसीहत


  ,,,,,,,,,"नसीहत",,,,,,,,,,
،،،،،،،" ﻧﺼﯿﺤﺖ " ،،،،،،،

.
.

एक बेटी को किसी बाप ने पैग़ाम दिया,
जिसमें ख़ुशनूदी ए रब थी अमल अंजाम दिया,
ढालकर लफ्ज़ों में एक तोहफ़ा ए इस्लाम दिया,
इस नसीहत को सदा फ़िक़्र में ज़िंदा रखना
जब तलक जान सलामत रहे परदा रखना
.
ﺍﯾﮏ ﺑﯿﭩﯽ ﮐﻮ ﮐﺴﯽ ﺑﺎﭖ ﻧﮯ ﭘﯿﻐﺎﻡ ﺭﯾﺎ،
ﺟﺴﻤﯿﮟ ﺧﻮﺷﻨﻮﺩﯼﺀِ ﺭﺏ ﺗﮭﯽ ﻋﻤﻞ ﺍﻧﺠﺎﻡ ﺩﯾﺎ،
ﮈﮬﺎﻝ ﮐﺮ ﻟﻔﻈﻮﮞ ﻣﯿﮟ ﺍﯾﮏ ﺗﺤﻔﮧ ﺀِ ﺍﺳﻼﻡ ﺩﯾﺎ،
ﺍﺱ ﻧﺼﯿﺤﺖ ﮐﻮ ﺳﺪﺍ ﻓﮑﺮ ﻣﯿﮟ ﺯﻧﺪﮦ ﺭﮐﮭﻨﺎ
ﺟﺐ ﺗﻠﮏ ﺟﺎﻥ ﺳﻼﻣﺖ ﺭﮨﮯ ﭘﺮﺩﮦ ﺭﮐﮭﻨﺎ
.
दिल में बेअस्ल ख़्यालात न आने देना,
फ़िक़्र की हद में ग़लत बात न आने देना,
आड़े ईमान के जज़्बात न आने देना,
इस नसीहत को सदा फ़िक़्र में ज़िंदा रखना
जब तलक जान सलामत रहे परदा रखना
.
ﺩﻝ ﻣﯿﮟ ﺑﮯ ﺍﺻﻞ ﺧﯿﺎﻻﺕ ﻧﮧ ﺁﻧﮯ ﺩﯾﻨﺎ،
ﻓﮑﺮ ﮐﯽ ﺣﺪ ﻣﯿﮟ ﻏﻠﻂ ﺑﺎﺕ ﻧﮧ ﺁﻧﮯ ﺩﯾﻨﺎ،
ﺁﮌﮮ ﺍﯾﻤﺎﻥ ﮐﮯ ﺟﺰﺑﺎﺕ ﻧﮧ ﺁﻧﮯ ﺩﯾﻨﺎ،
ﺍﺱ ﻧﺼﯿﺤﺖ ﮐﻮ ﺳﺪﺍ ﻓﮑﺮ ﻣﯿﮟ ﺯﻧﺪﮦ ﺭﮐﮭﻨ
ﺟﺐ ﺗﻠﮏ ﺟﺎﻥ ﺳﻼﻣﺖ ﺭﮨﮯ ﭘﺮﺩﮦ ﺭﮐﮭﻨﺎ
.
.
आँच माँ बाप की इज़्ज़त पे न आने पाये,
उंगलियां तुझपे ज़माना न उठाने पाये,
हाथ से दामने इस्लाम न जाने पाये,
इस नसीहत को सदा फ़िक़्र में ज़िंदा रखना
जब तलक जान सलामत रहे परदा रखना
.
ﺁﻧﭻ ﻣﺎﮞ ﺑﺎﭖ ﮐﯽ ﻋﺰّﺕ ﭘﮧ ﻧﮧ ﺁﻧﮯ ﭘﺎﮮ،
ﺍﻧﮕﻠﯿﺎﮞ ﺗﺠﮭﭙﮯ ﺯﻣﺎﻧﮧ ﻧﮧ ﺍﭨﮭﺎﻧﮯ ﭘﺎﮮ،
ﮨﺎﺗﮫ ﺳﮯ ﺩﺍﻣﻦِ ﺍﺳﻼﻡ ﻧﮧ ﺟﺎﻧﮯ ﭘﺎﮮ،
ﺍﺱ ﻧﺼﯿﺤﺖ ﮐﻮ ﺳﺪﺍ ﻓﮑﺮ ﻣﯿﮟ ﺯﻧﺪﮦ ﺭﮐﮭﻨﺎ
ﺟﺐ ﺗﻠﮏ ﺟﺎﻥ ﺳﻼﻣﺖ ﺭﮨﮯ ﭘﺮﺩﮦ ﺭﮐﮭﻨﺎ
.
हुस्ने किरदार सजाने की अदा है परदा,
अपनी इज़्ज़त को बढ़ाने की अदा है परदा,
एक पाकीज़ा घराने की अदा है परदा,
इस नसीहत को सदा फ़िक़्र में ज़िंदा रखना
जब तलक जान सलामत रहे परदा रखना
.
ﺣﺴﻦِ ﮐﺮﺩﺍﺭ ﺳﺠﺎﻧﮯ ﮐﯽ ﺍﺩﺍ ﮨﮯ ﭘﺮﺩﮦ،
ﺍﭘﻨﯽ ﻋﺰّﺕ ﮐﻮ ﺑﮍﮬﺎﻧﮯ ﮐﯽ ﺍﺩﺍ ﮨﮯ ﭘﺮﺩﮦ،
ﺍﯾﮏ ﭘﺎﮐﯿﺰﮦ ﮔﮭﺮﺍﻧﮯ ﮐﯽ ﺍﺩﺍ ﮨﮯ ﭘﺮﺩﮦ،
ﺍﺱ ﻧﺼﯿﺤﺖ ﮐﻮ ﺳﺪﺍ ﻓﮑﺮ ﻣﯿﮟ ﺯﻧﺪﮦ ﺭﮐﮭﻨﺎ
ﺟﺐ ﺗﻠﮏ ﺟﺎﻥ ﺳﻼﻣﺖ ﺭﮨﮯ ﭘﺮﺩﮦ ﺭﮐﮭﻨﺎ
.
दौरे फ़ैशन की रवानी में न बहना बेटी,
इस नसीहत से खबरदार तू रहना बेटी,
परदा औरत के लिये होता है गहना बेटी,
इस नसीहत को सदा फ़िक़्र में ज़िंदा रखना
जब तलक जान सलामत रहे परदा रखना
.
ﺩﻭﺭِ ﻓﯿﺸﻦ ﮐﯽ ﺭﻭﺍﻧﯽ ﻣﯿﮟ ﻧﮧ ﺑﮩﻨﺎ ﺑﯿﭩﯽ،
ﺍﺱ ﻧﺼﯿﺤﺖ ﺳﮯ ﺧﺒﺮﺩﺍﺭ ﺗﻮ ﺭﮨﻨﺎ ﺑﯿﭩﯽ،
ﭘﺮﺩﮦ ﻋﻮﺭﺕ ﮐﮯ ﻟﯿﮯ ﮨﻮﺗﺎ ﮨﮯ ﮔﮩﻨﺎ ﺑﯿﭩﯽ،
ﺍﺱ ﻧﺼﯿﺤﺖ ﮐﻮ ﺳﺪﺍ ﻓﮑﺮ ﻣﯿﮟ ﺯﻧﺪﮦ ﺭﮐﮭﻨﺎ
ﺟﺐ ﺗﻠﮏ ﺟﺎﻥ ﺳﻼﻣﺖ ﺭﮨﮯ ﭘﺮﺩﮦ ﺭﮐﮭﻨﺎ
.
ख्वाहिशें दिल में जो मचलें तो मचलने देना,
रंग बदलेगा ज़माना तू बदलने देना,
खुद को माहौले खराबी में न ढलने देना,
इस नसीहत को सदा फ़िक़्र में ज़िंदा रखना
जब तलक जान सलामत रहे परदा रखना
.
ﺧﻮﺍﮨﺸﯿﮟ ﺩﻝ ﻣﯿﮟ ﺟﻮ ﻣﭽﻠﯿﮟ ﺗﻮ ﻣﭽﻠﻨﮯ ﺩﯾﻨﺎ،
ﺭﻧﮓ ﺑﺪﻟﯿﮕﺎ ﺯﻣﺎﻧﮧ .............. ﺗﻮ ﺑﺪﻟﻨﮯ ﺩﯾﻨﺎ،
ﺧﻮﺩ ﮐﻮ ﻣﺎﺣﻮﻝِ ﺧﺮﺍﺑﯽ ﻣﯿﮟ ﻧﮧ ﮈﮬﻠﻨﮯ ﺩﯾﻨﺎ،
ﺍﺱ ﻧﺼﯿﺤﺖ ﮐﻮ ﺳﺪﺍ ﻓﮑﺮ ﻣﯿﮟ ﺯﻧﺪﮦ ﺭﮐﮭﻨﺎ
ﺟﺐ ﺗﻠﮏ ﺟﺎﻥ ﺳﻼﻣﺖ ﺭﮨﮯ ﭘﺮﺩﮦ ﺭﮐﮭﻨﺎ
.
जाये दुनिया से तो राज़ी हो तेरा रब तुझसे,
सुर्खरू हो मेरी आगोश का मकतब तुझसे,
कोई शिकवा न करे हशर् में मज़हब तुझसे,
इस नसीहत को सदा फ़िक़्र में ज़िंदा रखना
जब तलक जान सलामत रहे परदा रखना
.
ﺟﺎﯾﮯ ﺩﻧﯿﺎ ﺳﮯ ﺗﻮ ﺭﺍﺿﯽ ﮨﻮ ﺗﯿﺮﺍ ﺭﺏ ﺗﺠﮭﺴﮯ،
ﺳﺮﺥ ﺭﻭ ﮨﻮ ﻣﯿﺮﯼ ﺁﻏﻮﺵ ﮐﺎ ﻣﮑﺘﺐ ﺗﺠﮭﺴﮯ،
ﮐﻮﺀﯼ ﺷﮑﻮﮦ ﻧﮧ ﮐﺮﮮ ﺣﺸﺮ ﻣﯿﮟ ﻣﺰﮨﺐ ﺗﺠﮭﺴﮯ،
ﺍﺱ ﻧﺼﯿﺤﺖ ﮐﻮ ﺳﺪﺍ ﻓﮑﺮ ﻣﯿﮟ ﺯﻧﺪﮦ ﺭﮐﮭﻨﺎ
ﺟﺐ ﺗﻠﮏ ﺟﺎﻥ ﺳﻼﻣﺖ ﺭﮨﮯ ﭘﺮﺩﮦ ﺭﮐﮭﻨﺎ
.
दिल में इस्लाम की तालीम बसाये रखना,
अपनी नज़रों को सदा नीचे झुकाये रखना,
जिस्म पर परदा ए इस्मत को सजाये रखना,
इस नसीहत को सदा फ़िक़्र में ज़िंदा रखना
जब तलक जान सलामत रहे परदा रखना
.
ﺩﻝ ﻣﯿﮟ ﺍﺳﻼﻡ ﮐﯽ ﺗﻌﻠﯿﻢ ﺑﺴﺎﮮ ﺭﮐﮭﻨﺎ،
ﺍﭘﻨﯽ ﻧﻈﺮﻭﮞ ﮐﻮ ﺳﺪﺍ ﻧﯿﭽﮯ ﺟﮭﮑﺎﮮ ﺭﮐﮭﻨﺎ،
ﺟﺴﻢ ﭘﺮ ﭘﺮﺩﮦ ﺀِ ﻋﺼﻤﺖ ﮐﻮ ﺳﺠﺎﮮ ﺭﮐﮭﻨﺎ،
ﺍﺱ ﻧﺼﯿﺤﺖ ﮐﻮ ﺳﺪﺍ ﻓﮑﺮ ﻣﯿﮟ ﺯﻧﺪﮦ ﺭﮐﮭﻨﺎ
ﺟﺐ ﺗﻠﮏ ﺟﺎﻥ ﺳﻼﻣﺖ ﺭﮨﮯ ﭘﺮﺩﮦ ﺭﮐﮭﻨﺎ
.
अपने चेहरे की नुमाईश नहीं करना बेटी,
हटके इस्लाम से ख़्वाहिश नहीं करना बेटी,
राहे ईमान में लरज़िश नहीं करना बेटी,
इस नसीहत को सदा फ़िक़्र में ज़िंदा रखना
जब तलक जान सलामत रहे परदा रखना
.
ﺍﭘﻨﮯ ﭼﮩﺮﮮ ﮐﯽ ﻧﻤﺎﯾﺶ ﻧﮩﯿﮟ ﮐﺮﻧﺎ ﺑﯿﭩﯽ،
ﮨﭩﮑﮯ ﺍﺳﻼﻡ ﺳﮯ ﺧﻮﺍﮨﺶ ﻧﮩﯿﮟ ﮐﺮﻧﺎ ﺑﯿﭩﯽ،
ﺯﺍﮦِ ﺍﯾﻤﺎﻥ ﻣﯿﮟ ﻟﺮﺯﺵ ﻧﮩﯿﮟ ﮐﺮﻧﺎ ﺑﯿﭩﯽ،
ﺍﺱ ﻧﺼﯿﺤﺖ ﮐﻮ ﺳﺪﺍ ﻓﮑﺮ ﻣﯿﮟ ﺯﻧﺪﮦ ﺭﮐﮭﻨﺎ
ﺟﺐ ﺗﻠﮏ ﺟﺎﻥ ﺳﻼﻣﺖ ﺭﮨﮯ ﭘﺮﺩﮦ ﺭﮐﮭﻨﺎ
.
काश सब मर्द भी मिलकर ये इरादा करलें,
देखकर ग़ैर की नामूस को परदा करलें,
नज़रें पाकीज़ा रखेंगे सभी वादा करलें,
फ़िक़्र हो जाये ये हर ज़हन पे ग़ालिब"
परदा औरत पे नहीं सब पे है वाजिब""
.
ﮐﺎﺵ ﺳﺐ ﻣﺮﺩ ﺑﮭﯽ ﻣﻠﮑﺮ ﯾﮧ ﺍﺭﺍﺩﮦ ﮐﺮ ﻟﯿﮟ،
ﺩﯾﮑﮫ ﮐﺮ ﻏﯿﺮ ﮐﯽ ﻧﺎﻣﻮﺱ ﮐﻮ ﭘﺮﺩﮦ ﮐﺮ ﻟﯿﮟ،
ﻧﻈﺮﯾﮟ ﭘﺎﮐﯿﺰﮦ ﺭﮐﮭﯿﮟ ﮔﮯ ﺳﺒﮭﯽ ﻭﻋﺪﮦ ﮐﺮ ﻟﯿﮟ،
ﻓﮑﺮ ﮨﻮ ﺟﺎﮮ ﯾﮧ ﮨﺮ ﺫﮨﻦ ﭘﮧ ﻏﺎﻟﺐ "
ﭘﺮﺩﮦ ﻋﻮﺭﺕ ﭘﮧ ﻧﮩﯿﮟ ﺳﺐ ﭘﮧ ﮨﮯ ﻭﺍﺟﺐ
.
# copied_MalaK