Friday 6 July 2018

Ek Interview

एक तजरबे कार उमर याफता बा वकार खातून का इंटरव्यु जिन्होने अपने शौहर के साथ पचास साल का अरसा पुर सुकुन तरीकै से हंसी खुशी गुजारा ।
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खातुन से पूछा गया कि इस पचास साला पुर सुकुन जिन्दगी का राज़ किया है ?
क्या वो खाना बनाने मे बहुत माहिर थी ?
या उनकी खुबसुरती उस का सबब है ?
या तीन चार बच्चों का होना उस की वजह है या फिर कोई ओर बात ???

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खातून ने जवाब दिया
पुर सुकुन शादी शुदा जिन्दगी का दारो मदार अल्लाह तबारक व तआला की तौफिक़ और अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम की करम नवाज़ियों के सदके ओरत के हाथ में है ,

औरत चाहे तो अपने घर को जन्नत बना सकती है और वो चाहे तो उस के बर अक्स जहन्नम भी बना सकती है ।

इस सिलसिले मे माल व दौलत का नाम भी मत लीजिए बहुत सारी मालदार ओरतें जिन की जिन्दगी जंजाल बनी हुई है शौहर उन से भागा भागा रहता है।
खुश हाल ज़िन्दगी का सबब औलाद भी नही है बहुत सारी औरते हैं जिनके दसों बच्चे हैं फिर भी वो शौहर की मोहब्बत से महरुम हैं

 सारी ख्वातिन खाना पकाने में माहिर होती हैं दिन दिन भर खाना बनाती रहती हैं लैकिन फिर भी उन्हे फ़ैमिली की तरफ से शिकायत रहती है क्योंकि वक्त की किल्लत के चलते वो अपनों को मुकम्मल वक्त नही दे पातीं ।


इंटरव्यु लेने वाली खातून को बहुत हैरत हुई ,उस ने पूछा फिर आखिर इस खुशहाल जिन्दगी का राज़ क्या है ???

बूढ़ी खातून ने जवाब दिया : जब कभी मेरा शौहर इन्तहाई गुस्से में होता है तो में खामोशी का सहारा ले लेती हूं
लेकिन उस खामोशी में भी अहतराम शामिल होता है ।

एेसे मौके पर बाअज़ खातून खामोश तो हो जाती हैं लेकिन उस में तमस्खुर शामिल होता है इस से बचना चाहिये,

समझदार आदमी उसे फोरन भांप लेता है।

स्टोरी कवर करने वाली खातून ने पूछा : ऐसे मोके पर आप कमरे से निकल क्यों नही जातीं ?

बुढी खातून ने जवाब दिया : नहीं, ऐसा करने से शोहर को ये लगेगा कि आप उस से भाग रही हैं ,
 आप उसे सुन ना भी नही चाहती हैं ऐसे मोके़ पर बहुत सन्जीदा या नदामती तरीके पर खामोश रहना चाहिये और जब तक वो पुर सुकुन ना हो जाऐ. उसकी किसी बात की मुखालफत नही करना चाहिये 


जब शोहर किसी हद तक पुर सुकुन हो जाता है तो मैं कहती हुं: पूरी हो गई आप की बात?

फिर मैं कमरे से चली जाती हूं क्युं की शोहर बोल बोल कर थक चुका होता है ओर चीखने चिल्लाने के बाद अब उसे थोडे आराम की जरूरत होती है ।

मै कमरे से निकल कर अपने माअमूल के कामों में मसरूफ हो जाती हूं।

खातून सहाफी ने पूछा :उस के बाद आप क्या करती हैं?

क्या आप बातचीत बंद करने का असलूब अपनाती है?
एक आधा हफ्ते तक बोल चाल नहीं करती हैं ?

बूढी खातून ने जवाब दिया :नहीं इस बुरी आदत से हमेशा बचना चाहिए ये दो धारी हथियार है जब आप एक हफ्ते तक शोहर से बातचीत नहीं करेंगी ऐसे वक़्त में जब की उसे आप के साथ मुसालिहत (सुलह) की ज़रूरत है तो वो इस कैफियत का आदि हो जायेगा और फिर ये चीज़ बढ़ते बढ़ते खतरनाक किस्म की नफरत की शक्ल इख़्तेयार कर लेगी .




सहाफी ने पुछा :फिर आप क्या करती हैं?

बूढी खातून बोलीं :मैं दो तीन घंटे बाद शोहर के पास एक ग्लास शरबत या एक कप चाय या कॉफी ले कर जाती हूँ और मुहब्ब्त भरे अंदाज़ में कहती हूँ :पी लीजिये ।

हक़ीक़त मे शोहर को इसी की ज़रूरत होती है पर वो थोड़ी नाराज़गी पर नरम लहज़े में कहता है नहीं पीना,
फिर मैं अदब और मुहब्बत के साथ कहती हूं प्लीज़ पी लीजिये
फिर नार्मल और नरम लहज़े में बात करने लगती हूँ कुछ ही लम्हे में वो पूछता है क्या मै उस से नाराज़ हूँ ?

में कहती हूँ ..नहीं :उस के बाद वो अपनी सख्त कलामी पर माज़रत (सॉरी )ज़ाहिर करता है और खूबसूरत किस्म की बातें करने लगता है .

इंटरवयु लेने वाली खातून ने पुछा :और आप उस की ये बाते मान लेती हैं ?

बूढी खातून बोलीं: बिलकुल, मुझे अपने आप पर पूरा भरोसा होता है ।

मेरा शोहर जब गुस्से में हो तो में उस की हर बात का यकीन कर लूं ।

खातून सहाफी ने पूछा :और आप की ईज्जते नफ्स ?(self respect)


बुढी खातून बोलीं :पहली बात तो ये कि मेरी ईज्जते नफ्स सेल्फ रिसपेक्ट उसी वक्त है जब मैरा शोहर मुझ से राज़ी हो और हमारी शादी शुदा ज़िन्दगी पुर सुकून हो,


दूसरी बात ये कि मैं इतनी पागल या बेवफा नहीं कि उस के गुस्सा आ जाने वाले वक़्त पर उसके तमाम मोहब्बत भरे पलो को ,और उसकी सारी कुरबानिया जो मेरे लिए और मेरे बच्चौ के लिये दी होती है वो भूल जाउं ,

वो सख्त तेज़ धूप मे काम पर जाना
वो शिद्दत की सरदी की सर्द शबों(ठंडी रातों) में गरम बिस्तर छोड़ कर काम के लिये बाहर जाना
वो तेज़ बारिशों में भीगते हुए आना
हर वक़्त घर की बेहतरी के लिये उसका फिक्र मन्द रहना !

तीसरी और लास्ट बात समझने की ये की शोहर बीवी के दरमियान इज़्ज़ते नफ़्स नाम की कोई चीज़ नहीं होती
जब बीवी खुद अपने आप को और अपनी हर चीज़ को अपनी इज़्ज़त को अपने शोहर को सौंप देती है तो फिर उस इज़्ज़त के सामने इज़्ज़ते नफ़्स ज॔र्रा बराबर भी नही ।।

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