Wednesday, 22 June 2016
Hazrat Shaikh Junaid Baghdadi Alaih Rahmat wa Rizwaan
एक पहलवान की ईमान अफ़रोज़ दास्ताँ=================================किसी ज़माने में बग़दाद में जुनैद नामी एक पहलवान रहाकरता था। पूरे बग़दाद में इस पहलवान के मुक़ाबले का कोई ना था। बड़े से बड़ापहलवान भी इस के सामने ज़ेर था। क्या मजाल कि कोई इस के सामनेनज़र मिला सके। यही वजह थी कि शाहीदरबार में उस को बड़ी इज़्ज़त की निगाह से देखा जाता थाऔर बादशाह की नज़र में इस का ख़ास मुक़ाम था। एक दिन जुनैदपहलवान बादशाह के दरबार में अराकीने सल्तनत के हमराह बैठा हुआथा कि शाही महल के सदर दरवाज़े पर किसी ने दस्तकदी। ख़ादिम ने आकर बादशाह को बताया कि एक कमज़ोर-व-नातवां शख़्सदरवाज़े पर खड़ा है, जिस का बोसीदा लिबास है। कमज़ोरी कायह आलम है कि ज़मीन पर खड़ा होना मुश्किल हो रहा है। उस ने येपैग़ाम भेजा है कि जुनैद को मेरा पैग़ाम पहुंचा दो कि वो कुश्ती में मेराचैलेंज क़बूल करे। बादशाह ने हुक्म जारी किया कि उसे दरबार में पेशकरो। अजनबी डगमगाते पैरों से दरबार में हाज़िर हुआ।वज़ीर ने अजनबी से पूछा, तुम क्या चाहते हो?अजनबी ने जवाब दिया। मैं जुनैद पहलवान से कुश्ती लड़नाचाहता हूँ। वज़ीर ने कहा, छोटा मुँह बड़ी बात ना करो। क्यातुम्हें मालूम नहीं कि जुनैद का नाम सुन कर बड़े बड़े पहलवानों कोपसीना आ जाता है। पूरे शहर में इस के मुक़ाबले का कोईनहीं और तुम जैसे कमज़ोर शख़्स का जुनैद से कुश्तीलड़ना तुम्हारी हलाकत का सबब भी हो सकता है।अजनबी ने कहा कि जुनैद पहलवान की शौहरतही मुझे खींच कर लाई है और मैं आप पर यह साबितकरके दिखाऊंगा कि जुनैद को शिकस्त देना मुम्किन है। मैं अपना अंजाम जानता हूँ।आप इस बहस में ना पड़ें, बल्कि मेरे चैलेंज को क़बूल किया जाये। यह तो आने वालावक़्त बताएगा कि शिकस्त किस का मुक़द्दर होती है। जुनैद पहलवानबड़ी हैरत से आने वाले अजनबी की बातें सुनरहा था। बादशाह ने कहा, अगर समझाने के बावजूद यह बज़िद है, तो अपने अंजामका यह ख़ुद ज़िम्मेदार है। लिहाज़ा, इस का चैलेंज क़बूल कर लिया जाये। बादशाह काहुक्म हुआ और कुछ ही देर के बाद तारीख़ और जगहका ऐलान कर दिया गया और पूरे बग़दाद में इस चैलेंज का तहलका मच गया। हरशख़्स की ये ख़्वाहिश थी कि इस मुक़ाबले को देखे।तारीख़ जूं-जूं क़रीब आती गई, लोगों काइश्तियाक़ बढ़ता गया। उन का इश्तियाक़ इस वजह से था कि आज तक उन्होंनेतिन्के और पहाड़ का मुक़ाबला नहीं देखा था। दूर दराज़ मुल्कों सेभी सय्याह, यह मुक़ाबले देखने के लिए आने लगे। जुनैद के लिए यहमुक़ाबला बहुत पुरअसरार था और उस पर एक अंजानी सीहैबत तारी होने लगी। इंसानों का ठाठें मारता समुंद्र शहरेबग़दाद में उमंड आया था। जुनैद पहलवान की मुलकगीरशोहरत किसी तआरुफ़ की मुहताज ना थी।अपने वक़्त का माना हुआ पहलवान, आज एक कमज़ोर और नातवां इंसान सेमुक़ाबले के लिए मैदान में उतर रहा था। अखाड़े के अतराफ़ लाखों इंसानों का हुजूम इसमुक़ाबले को देखने आया हुआ था। बादशाहे वक़्त अपने सल्तनत केअराकीन के हमराह अपनी कुर्सीयों पर बैठचुके थे। जुनैद पहलवान भी बादशाह के हमराह आ गया था। सब लोगोंकी निगाहें इस पुरअसरार शख़्स पर लगी हुईथीं। जिस ने जुनैद जैसे नामवर पहलवान को चैलेंज दे करपूरी सल्तनत में तहलका मचा दिया था। मजमा को यक़ीननहीं आ रहा था कि अजनबी मुक़ाबले के लिए आएगा। फिरभी लोग शिद्दत से उस का इंतिज़ार करने लगे। जुनैद पहलवान मैदान मेंउतर चुका था। उस के हामी लम्हा ब लम्हा नारे लगा कर हौसला बुलंदकर रहे थे कि अचानक वह अजनबी लोगों की सफ़ों कोचीरता हुआ, अखाड़े में पहुंच गया। हर शख़्स उस कमज़ोर और नातवांशख़्स को देख कर महवे हैरत में पड़ गया कि जो शख़्स जुनैद कीएक फूंक से उड़ जाये, उस से मुक़ाबला करना दानिशमंदीनहीं। लेकिन इस के बावजूद सारा मजमा धड़कते दिल के साथ इसकुश्ती को देखने लगा। कुश्ती का आग़ाज़ हुआ। दोनों आमनेसामने हुए। हाथों में हाथ डाले गए। पंजा आज़माई शुरू हुई, इस से पहले कि जुनैदकोई दाव लगा कर अजनबी को ज़ेर करते, अजनबी नेआहिस्ता से जुनैद से कहा... ऐ जुनैद! ज़रा अपने कान मेरे क़रीबलाओ। मैं आप से कुछ कहना चाहता हूँ। अजनबी की बातेंसन कर जुनैद क़रीब हुआ और कहा क्या कहना चाहते हो?अजनबी बोला... ऐ जुनैद! मैं कोई पहलवान नहीं हूँ। ज़मानेका सताया हुआ हूँ। मैं आले रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हूँ। सय्यद घरानेसे मेरा ताल्लुक़ है। मेरा एक छोटा सा कुम्बा कई हफ़्तों से फ़ाक़ों में मुबतला जंगल मेंपड़ा हुआ है। छोटे छोटे बच्चे शिद्दते भूक से बेजान हो चुके हैं।ख़ानदानी ग़ैरत किसी से दस्ते सवाल नहीं करनेदेती। सय्यद ज़ादियों के जिस्म पर कपड़े फटे हुए हैं। बड़ीमुश्किल से यहां तक पहुंचा हूँ। मैंने इस उम्मीद पर तुम्हेंकुश्ती का चैलेंज दिया है कि तुम्हें हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम के घराने से अक़ीदत है। आज ख़ानदाने नबुव्वतकी लाज रख ले।
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