Sunday 25 November 2018

कलामे इक़्बाल


※कलामे इक़्बाल※



ﻟﻮﺡ ﺑﮭﯽ ﺗﻮ ، ﻗﻠﻢ ﺑﮭﯽ ﺗﻮ ، ﺗﻴﺮﺍ ﻭﺟﻮﺩ ﺍﻟﮑﺘﺎﺏ
लौह भी तू , क़लम भी तू ,
तेरा वुजूद अलकिताब ।
ﮔﻨﺒﺪ ﺁﺑﮕﻴﻨﮧ ﺭﻧﮓ ﺗﻴﺮﮮ ﻣﺤﻴﻂ ﻣﻴﮟ ﺣﺒﺎﺏ
ग़ुम्बदे आब्गीना रंग,
तेरे मुह़ीत़ में हिबाब ।
ﻋﺎﻟﻢ ﺁﺏ ﻭ ﺧﺎﮎ ﻣﻴﮟ ﺗﻴﺮﮮ ﻇﮩﻮﺭ ﺳﮯ ﻓﺮﻭﻍ
आलमे आबो ख़ाक़ में,
तेरे ज़हूर से फ़रोग़ ।
ﺫﺭﮦ ﺭﻳﮓ ﮐﻮ ﺩﻳﺎ ﺗﻮ ﻧﮯ ﻃﻠﻮﻉ ﺁﻓﺘﺎﺏ
ज़र्राह रेग़ को दिया,
तू ने तुलूए आफ़ताब
ﺷﻮﮐﺖ ﺳﻨﺠﺮ ﻭ ﺳﻠﻴﻢ ﺗﻴﺮﮮ ﺟﻼﻝ ﮐﯽ ﻧﻤﻮﺩ
शौकते सन्जरो सलीम,
तेरे जलाल की नमूद ।
ﻓﻘﺮ ﺟﻨﻴﺪ ﻭ ﺑﺎﻳﺰﻳﺪ ﺗﻴﺮﺍ ﺟﻤﺎﻝ ﺑﮯ ﻧﻘﺎﺏ
फ़क्र जुनैदो बायज़ीद,
तेरा जमाल बेनकाब ।
ﺷﻮﻕ ﺗﺮﺍ ﺍﮔﺮ ﻧﮧ ﮨﻮ ﻣﻴﺮﯼ ﻧﻤﺎﺯ ﮐﺎ ﺍﻣﺎﻡ
शौक़ तेरा अगर न हो,
मेरी नमाज़ का इमाम ।
ﻣﻴﺮﺍ ﻗﻴﺎﻡ ﺑﮭﯽ ﺣﺠﺎﺏ ، ﻣﻴﺮﺍ ﺳﺠﻮﺩ ﺑﮭﯽ ﺣﺠﺎﺏ
मेरा क़याम भी हिजाब,
मेरा सुजूद भी हिजाब ।
ﺗﻴﺮﯼ ﻧﮕﺎﮦ ﻧﺎﺯ ﺳﮯ ﺩﻭﻧﻮﮞ ﻣﺮﺍﺩ ﭘﺎ ﮔﺌﮯ
तेरी निगाहे नाज़ से,
दोनो मुराद पा गए ।
ﻋﻘﻞ ﻏﻴﺎﺏ ﻭ ﺟﺴﺘﺠﻮ ، ﻋﺸﻖ ﺣﻀﻮﺭ ﻭ ﺍﺿﻄﺮﺍﺏ
अक्ले ग़याबो जुस्तजू,
इश्के हुज़ूरो इज़तिराब ।


सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम